Sunday, February 12, 2017

सरण्यू (ऋग्वेद 10)

सरण्यू (ऋग्वेद 10)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj

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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
त्वष्टा दुहित्रे वहतुं कृणोतीतीदं विश्वं भुवनं समेति।
यमस्य माता पर्युह्यमाना महो जाया विवस्वतो ननाश
त्वष्टा नाम के देव अपनी कन्या सरण्यू का विवाह करने वाले है; इस उपलक्ष में सारा संसार आ गया है। जिस समय यम की माता का विवाह हुआ, उस समय महान् विवस्वान् की स्त्री अदृष्ट हुई।[ऋग्वेद 10.17.1]
Twasta want to marry his daughter Saranyu, whole universe participated in the marriage. When the mother of Yam got married wife of great Vivasvan disappeared.
अपागूहन्नमृतां मर्येभ्यः कृत्वी सवर्णामददुर्विवस्वते।
उताश्विनावभरद्यत्तदासीदजहादु द्वा मिथुना सरण्यूः
अमर सरण्यू को मनुष्यों के पास छिपाया गया। सरण्यू के सदृश एक स्त्री का निर्माण करके विवस्वान् को उसे दिया गया। उस समय अश्व रुपिणी सरण्यू ने अश्विद्वय अर्थात् दो अश्वों को गर्भ में धारण किया और यमज सन्तान को उत्पन्न किया।[ऋग्वेद 10.17.2]
Immortal Saranyu was hidden from the humans. A woman like Saranyu was produced and handed over to Vivasvan. Saranyu adopted the form of a mare and wore two horses in her womb and produced twins.

 
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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)
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