Wednesday, April 28, 2021

LAL KITAB REMEDIES लाल किताब के उपाय

LAL KITAB REMEDIES
 लाल किताब के उपाय
 CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM 
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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 "ॐ गं गणपतये नमः" 
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। 
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
हर समस्या का समाधान :: मनुष्य अपनी मेहनत-ईमानदारी और स्वयं की समझदारी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करे, धार्मिक-पुण्यात्मक कार्य करे। सुख-दुख मनुष्य के पूर्ववर्ती और वर्तमान कर्मों का प्रतिफल ही है। पुण्य कर्म किए जाए तो दु:ख का समय जल्दी निकल जाता है।
गाय, पक्षी, कुत्ता, चींटियाो और मछलियों को भोजन-चारा प्रदान करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। नियमित रूप से गाय को रोटी खिलाएं तो उसके ज्योतिषीय ग्रह दोष नष्ट हो जाते हैं। गाय को पूज्य और पवित्र माना जाता है, इसी वजह से इसकी सेवा करने वाले व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार पक्षियों को दाना डालने पर आर्थिक मामलों में लाभ प्राप्त होता है। व्यवसाय करने वाले लोगों को विशेष रूप से प्रतिदिन पक्षियों को दाना अवश्य डालना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति दुश्मनों से परेशान हैं और उनका भय हमेशा ही सताता रहता है तो कुत्ते को रोटी खिलाना चाहिए। नियमित रूप से जो कुत्ते को रोटी खिलाते हैं, उन्हें दुश्मनों का भय नहीं सताता है। कर्ज से परेशान से लोग चींटियों को शक्कर और आटा डालें। ऐसा करने पर कर्ज की समाप्ति जल्दी हो जाती है।
जिन लोगों की पुरानी सम्पत्ति उनके हाथ से निकल गई है या कई मूल्यवान वस्तु खो गई है तो ऐसे लोग यदि प्रतिदिन मछली को आटे की गोलियाँ खिलाते हैं तो उन्हें लाभ प्राप्त होता है। मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाने से पुरानी सम्पत्ति पुन: प्राप्त होने के योग बनते हैं।
बचत :: चावल के 21 दाने घर में पैसे रखने के स्थान पर लाल पोटली में रखें। इससे धन  की बचत होगी, फिजूल खर्ची नहीं होगी। किसी भी शुभ मुहूर्त या अक्षय तृतीया, पूर्णिमा, दीपावली या किसी अन्य शुभ मुहूर्त में सुबह जल्दी उठें। सभी आवश्यक कार्यों से निवृत्त होकर लाल रेशमी कपड़ा लें। अब उस लाल कपड़े में चावल के 21 दानें रखें। ध्यान रहें चावल के सभी 21 दानें पूरी तरह से अखंडित हों। उन दानों को कपड़े में बाँध लें। माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में यह लाल कपड़े में बंधे चावल भी रखें। पूजन के बाद यह लाल कपड़े में बंधे चावल घर  में धन-पैसे रखने के स्थान पर गुप्त रूप से रखें।  
दारिद्र मुक्ति :: 
दरिद नाशन दान, शील दुर्गतिहिं नाशियत।
बुद्धि नाश अज्ञान, भय नाशत है भावना[चाणक्य]
दान से दरिद्रता या गरीबी का नाश होता है। शील या व्यवहार दुखों को दूर करता है। बुद्धि अज्ञानता को नष्ट कर देती है। शुभ विचार सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाते हैं।
Donations leads to removal of poverty, good behaviour relieves of pains-sorrow, troubles, intelligence destroys ignorance and good-virtuous thoughts relieves one from fear. 
भाग्य या किस्मत का निर्धारण प्रारब्ध-पूर्व कर्मों है। मगर शुभ कर्मों द्वारा अशुभ कर्मों के फल को रोका जा सकता है।  
दारिद्रयनाशनं दानं शीलं दुर्गतिनाशनम्।
अज्ञाननाशिनी प्रज्ञा भावना भयनाशिनी[चाणक्य]
केवल दान और पुण्य कर्मों से ही दरिद्रता का नाश हो सकता है। दुर्गति या दुरावस्था का नाश शील या गुणों से  किया जा सकता है। बुद्धि अज्ञानता को नष्ट कर देती है। किसी भी प्रकार के डर को विचार नष्ट कर देते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को धन के अभाव का सामना करना पड़ रहा है तो उसे दान-पुण्य के प्रभाव से राहत मिल सकती है। दान से दरिद्रता दूर होती है। दान करने वाले व्यक्ति से सभी देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं और ग्रह दोष भी समाप्त हो जाते हैं। 
इसका एक अर्थ यह भी है कि दान ग्रहण करके उसका सदुपयोग करें स्वयं दान देने लायक बनें। जातक कभी भी अपनी सामर्थ्य से अधिक दान नहीं करना चाहिये। सामान्य स्थिति  में आय का छटा भाग या अधिक  से अधिक आय का पाँचवाँ भाग दान किया सकता है।  
बुद्धि प्राप्ति हेतु भगवान् शिव का दूध से अभिषेक करें। माता सरस्वती का बीज मन्त्र "ॐ ऐं नमः" का जाप प्रतिदिन 108 बार करें। 
विद्या सम्बन्धी समस्याएँ :: पढ़ाई से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए माता सरस्वती का ध्यान करें एवं बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमान जी महाराज और गणेश जी महाराज का पूजन करें।
बुद्धि की वृद्धि :: तीव्र बुद्धि और विद्या निम्न मंत्रो का एक-एक लाख जाप करें। 
(1). सच्चिदा एकी ब्रह्म ह्रीं सच्चिदा क्रीं ब्रह्म।
(2). ॐ क्रीं क्रीं क्रीं।
गृह कलह की शान्ति लिये भगवान् शिव का दूध से अभिषेक करें।
कामना पूर्ति हेतु भगवान् शिव का जलाभिषेक करें। 
वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर करने हेतु घी की धारा से भगवान् शिव का अभिषेक करें।
भोग की वृद्धि हेतु इत्र की धारा से भगवान् शिव का अभिषेक करें।
क्षय रोग का नाश करने के लिये शहद से भगवान् शिव का अभिषेक करें, परन्तु उचित दवाई का प्रयोग साथ-साथ करें। 
आनंद की प्राप्ति हेतु ईख से भगवान् शिव का अभिषेक करें। 
भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति हेतु गँगा जल से भगवान् शिव का अभिषेक करें। 
शादी या विवाहित जीवन से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने के लिए भगवान् शिव और माँ पार्वती, लक्ष्मी-नारायण, सीता-राम, राधा-कृष्ण और गणपति महाराज की पूजा करनी चाहिए।
पुत्र या पुत्री का विवाह :: सफेद खरगोश पालें। अविवाहित पुत्र या पुत्री से उसे खाना दिलवायें  देखभाल करायें। इससे धीरे-धीरे, विवाह का योग बनने लगता है।
पुरुषों के विवाह में यदि रुकावटें और विलंब हो, तो दोमुखी रुद्राक्ष के पाँच दाने लें। एक कटोरी जल में उन्हें पूजा में रखें। धूप, दीप जलाएं। प्रतिदिन तीन माला "ऊँ पार्वती वल्लवभायु स्वाहा" का जाप करें। यह प्रयोग करीब तीन महीने तक करें। जल पौधें पर चढ़ा दें। तीन महीने की पूजा के पश्चात एक रुद्राक्ष गणेश पर, एक रुद्राक्ष पार्वती पर, एक रुद्राक्ष कार्तिकेय पर, एक रुद्राक्ष नदी को और एक रुद्राक्ष भगवान् शिव पर चढ़ा दें। शिवलिंग पर जल चढ़ाए और आराधना करते हुए भोलेनाथ से प्रार्थना करें। शीघ्र ही विवाह  का योग बनेगा। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरंभ करें। रुद्राक्ष की पवित्र माला से जाप करें।
ससुराल में प्यार :: विवाह पश्चात ससुराल में प्यार पाने के लिए और सभी से अच्छे संबंध हों, इसके लिए लड़की को सर्वप्रथम सबका सम्मान करना चाहिए।
एक कटोरी में जल लें। उसे पूजा स्थल में रखें। धूप दीप जला लें। भोग-प्रसाद रखें। "ऊँ क्लीं कृष्णाय नमः" मंत्र की एक माला प्रतिदिन जाप करें। पूजा के पश्चात जल पी लें। सुबह-शाम इलायची खायें। परिवार में सुख-शान्ति रहेगी। ससुराल में सबसे मधुर संबंध बना रहेगा। 
धन संबंधी समस्याओं का निवारण करने के लिये महालक्ष्मी, कुबेर, भगवान् श्री हरी विष्णु से प्रार्थना करनी चाहिए।
कार्य में सफलता हेतु किसी भी कार्य की शुरूआत गणपति महाराज के पूजन के साथ ही करें।
कष्टों  निवारण :: निम्न मंत्र के 108 बार पाठ मानसिक से विपदा दूर चली जाती हैं।
रां रां रां रां रां रां रां रां कष्टं स्वाहा।
उन्नति :: किसी भी क्षेत्र में उन्नति पाने के लिए निम्न मंत्र का 108 बार नित्य जप करें।
ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी मम् गृहे धन पूरे। चिंता दूरे-दूरे स्वाहा।
विध्न निवारण :: निम्न मंत्र का 1,000 बार जाप करके सिद्ध करें। फिर नित्य 21 बार मंत्र का उच्चारण कर के मुख का मार्जन करें, तो परिवार के सभी सदस्यों के लिए हर प्रकार के विघ्न दूर हो जाएंगे। सायं काल पीपल की जड़ में शर्बत छोड़ें और श्रद्धापूर्वक धूप-दीप जलाएं।
नमः शांते प्रशांते ॐ ह्रीं ह्रौं सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।
भूत-प्रेत बाधा :: निम्न मंत्र को 1,000 बार जप करना चाहिए। इसके बाद जिसे भूत लगा हो, उसे 7 बार, मंत्र पड़ते हुए झाड़ें, तो लाभ होगा।
नमो मसाणं बरसिने प्रेतानां कुरू कुरू स्वाहा।
भय या भूत-प्रेत आदि का डर सताता हो तो हनुमान जी महाराज का ध्यान करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वैवाहिक जीवन का सुख :: पति-पत्नी बिछड़ गए हैं और काफी प्रयत्नों के बाद भी वापस मिलने का योग नहीं बन पा रहा हो तो हनुमान जी महाराज का ध्यान-प्रार्थना करें। 
 वैवाहिक जीवन में सुख-शान्ति :: कन्या का विवाह हो चुका हो और वह विदा हो रही हो तब एक लोटे में गँगा जल लेकर उसमें थोड़ी हल्दी डालकर व एक सिक्का डालकर लड़की के ऊपर से उबारकर उसके आगे फेंक दें। लड़की का वैवाहिक जीवन सफल होगा और वह ससुराल में भी खुश रहेगी।
परेशानी का निराकरण :: शनिदेव, राहु और केतु से सम्बन्धित वस्तुओं का दान और उनकी पूजा करें।
भूमि सम्बन्धी परेशानियाँ ::  मंगल का पूजन करें। हनुमान जी महाराज की प्रार्थना-सेवा करें। 
विवाह में विलंब :: विवाह के कारक बृहस्पति  की पूजा करें।  
कर्ज निवारण (1). :: कर्ज और मर्ज बढ़ते ही जाते हैं, यदि समय पर उनका उपाय न किया जाये। भारत में हर साल हजारों किसान कर्ज में डूबकर आत्महत्या तक कर लेते हैं। आजकल बैंक और लेनदेन करने वाली आर्थिक-मौद्रिक सँस्थाएँ ग्राहकों को कर्ज लेने के लिये प्रोत्साहित करती हैं और उनसे 47 % तक ब्याज वसूल करती हैं। डेबिट कार्ड का चलन बढ़ता ही जा रहा है। समझदार व्यक्ति अपनी चादर देखकर ही पैर पसारता है। 
ज्योतिष में षष्ठ, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के कमजोर होने, पापग्रह से युक्त होने, अष्टम, द्वादश, षष्ठ स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने पर जातक सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज तो होता है, तो बड़ी मुश्किल से चुकता होता है। शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को कर्ज के लेन-देन के लिए निषेध किया है। मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवन पर्यंत ऋण नहीं चुका पाता तथा उसकी संतानें भी कर्जों में डूबी रहती हैं।

अपनी आमदनी के अनुसार ही ऋण लें और समय पर चुकता करें। अपनी आय का छटा हिस्सा वक्त जरूरत के लिये बचकर रखें। 
शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
मंगल की भातपूजा, दान, होम और जप करें।
मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन कतई न करें।
लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।
गणेश जी महाराज को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगायें।
गणेश जी महाराज का अथर्व शीर्ष का पाठ प्रति बुधवार करें।
माँ बाप का आदर करें।
शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ाते हुए, भगवान् शिव से प्रार्थना करें :- 
"ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नमः शिवाय"
कर्ज निवारण (2). :: शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें। मंगल को भात पूजा, दान, होम और जप करें। मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें। लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें। गणेश जी महाराज को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगायें। गणेश जी महाराज का अथर्व शीर्ष का पाठ प्रति बुधवार करें। शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ायें।
धन सम्बन्धी समस्यायें :: (1). हकीक नामक का प्रयोग विभिन्न पूजा-पाठ, साधनाओं और उपासनाओं में किया जाता है। जिसके घर में हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं हो सकता। शुक्रवार के दिन रात्रि में पूजा उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और एक सौ आठ बार "ऊं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:" मंत्र का जप करें। इसके बाद माला को माता लक्ष्मी के मन्दिर में अर्पित कर दें। धन से जुड़ी हर समस्या हल हो जाएगी।
(2). ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मन्दिर में चढ़ा कर ईश्वर  प्रार्थना करें कि अमुक कार्य में सफलता प्रदान करें। ऐसा करने से सफलता हासिल होगी।
(3). धन की इच्छा रखने वाला जातक रात्रि में सत्ताइस हकीक पत्थर लेकर उनके ऊपर माता लक्ष्मी का चित्र स्थापित करे, तो निश्चय ही उसके घर में तरक्की होगी। 
धन धान्य प्राप्ति :: जातक घर में कुबेर की प्रतिमा-चित्र उत्तर दिशा में शुद्ध-पवित्र स्थान पर लगाकर उन्हें पूजा-आराधना द्वारा प्रसन्न करे। घर साफ़-सुथरा रखें। कबाड़ा शीघ्रातिशीघ्र निकल दें। मेहनत करें, बुद्धि का प्रयोग करें। छल-छंद न करें।
शनि साढ़े साती और ढ़ैया :: यदि कुण्डली में शनि विपरित फल देने वाला है और  रूकावट-अवरोध उत्पन्न हो रहा हो तो, शनिवार  लोहे  बर्तनों में खाना पकायें और खायें। वैसे आजकल स्टील-लोहे का प्रयोग तो हो ही रहा है। शनि कृपा प्राप्त करने लिये शनिवार को शनि और पीपल की पूजा करनी चाहिये और नीले वस्त्र धारण करने चाहिए।  
शनि मंत्र :: शनिवार के दिन नवग्रह या शनि मन्दिर में बदन पर लाल लुंगी पहन कर, भीग कर ही शनिदेव पर तेल चढ़ाते हुए, इस शनि मंगल स्त्रोत का पाठ करने से परेशानी व पीड़ा से छुटकारे व रक्षा की कामना करें :-
मन्द: कृष्णनिभस्तु पश्चिममुख: सौराष्ट्रक: काश्यप: 
स्वामी नक्रभकुम्भयोर्बुधसितौ मित्रे समश्चाङ्गिरा:
स्थानं पश्चिमदिक् प्रजापति-यमौ देवौ धनुष्यासन:
षट्त्रिस्थ: शुभकृच्छनी रविसुत: कुर्यात् सदा मङ्गलम्
शनि की दशा जैसे ढैय्या, साढ़े साती या महादशा में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव व्यावहारिक जीवन के अनेक कामों में बाधायें पैदा कर सकती है। शनिवार का दिन शनिदेव की उपासना से शनि ग्रह दोष शान्ति के लिए बहुत ही उपयुक्त है।
नवग्रह शान्ति (1) :: नवग्रह अपना प्रभाव ईश्वर आदि दैविक शक्तियों पर भी दिखाते हैं। माता सती द्वारा आत्मदाह उनके विवाह में नवग्रह शान्ति न होने से ही हुआ। अवतार रूप में भगवान्  ब्रह्मा, विष्णु और महेश (त्रिदेव) भी इनके दुष्प्रभाव से अछूते नहीं रहते। ब्रह्मदेव सृष्टि, भगवान् विष्णु पालन और महेश-शिव संहारक शक्तियों के स्वामी हैं। इस तरह संपूर्ण सृष्टि और कालचक्र पर त्रिदेव का नियंत्रण है। त्रिदेवों के अधीन होने से ही नवग्रह भी रचना, पालन व संहार की इस प्रक्रिया में अलग-अलग शक्तियों द्वारा भूमिका निभाकर दैहिक, दैविक और भौतिक सुख-दु:ख नियत करते हैं। जन्म लेने वाले हर मनुष्य पर नवग्रहों का प्रभाव आजीवन बना रहता है अतः इनकी शान्ति-उपासना जरुरी है। 
सुबह स्नान के बाद त्रिदेव व नवग्रह की प्रतिमा या तस्वीर की गंध, अक्षत, नैवेद्य, धूप व दीप लगाकर पूजा करें व मंगल कामना हेतु निम्न मंत्र का उच्चारण श्रद्धा पूर्वक करें :-
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी देवता मेरे प्रात:काल को मंगलमय करें। स्मरण के बाद आरती कर, प्रसाद ग्रहण करें।
नवग्रह शान्ति (2) ::
सूर्य :-
(1). सूर्य के दोष के निवारण हेतु प्रतिदिन चीटियों को खीर खिलायें। इसी प्रकार केले को छील कर चींटियों के बिल के पास रखें।
(2). इसी  प्रकार गाय को खीर और केला खिलायें।
(3). जल और गाय का दूध मिलाकर सूर्य नारायण को चढ़ायें। जब जल चढ़ायें, तो इस तरह से कि सूर्य की किरणें उस गिरते हुए जल में से निकल कर माथे-सर पर पड़ें। 
(4). जल से अर्घ्य देने के बाद जहाँ पर जल चढ़ाया है, वहाँ पर सवा मुट्ठी साबुत चावल चढ़ा दें।
चन्द्र :-
(1). पूर्णिमा के दिन गोला, बूरा तथा घी मिलाकर गाय को खिलायें। 5  पूर्ण मासी तक गाय को खिलायें।
(2). 5 पूर्णमासी तक केवल शुक्ल पक्ष में प्रत्येक 15 दिन गँगाजल तथा गाय का दूध चन्द्रमा उदय होने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
(3). जब चाँदनी रात हो, तब जल के किनारे जल में चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब ओर हाथ जोड़कर दस मिनट तक खड़े रहें और फिर पानी में मीठा प्रसाद चढ़ा देवें, घी का दीपक प्रज्जवलित करें। उक्त प्रयोग घर में भी कर सकते हैं, पीतल के बर्तन में पानी भरकर छत पर रखकर या जहाँ भी चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब पानी में दिख सके वहीं पर यह कार्य कर सकते हैं।
मंगल :-
(1). चावलों को उबालने के बाद बचे हुए माँड-पानी में उतना ही पानी तथा 100 ग्राम गुड़ मिलाकर गाय को खिलायें।
(2). सवा महीने में जितने दिन होते हैं, उतने साबुत चावल पीले कपड़े में बाँध कर यह पोटली अपने साथ रखें। यह प्रयोग सवा महीने तक जारी रखें।
(3). मंगलवार के दिन हनुमान जी महाराज का व्रत पाँच मंगलवार तक रखें। 
(4). किसी जंगल जहाँ बन्दर रहते हो, में सवा मीटर लाल कपड़ा बाँध कर आयें, फिर रोजाना अथवा मंगलवार के दिन उस जंगल में बन्दरों को चने और गुड़ खिलायें।
बुध :-
(1). सवा मीटर सफेद कपड़े में हल्दी से  स्थान पर “ॐ” लिखें तथा उसे पीपल पर लटका दें।
(2). बुधवार के दिन थोड़े गेहूँ तथा चने दूध में डालकर पीपल पर चढ़ायें।
(3). सोमवार से बुधवार तक हर सप्ताह कन्नेर की झाड़ी पर दूध चढ़ायें। जिस दिन से शुरुआत करें उस दिन कन्नेर की जड़ों में कलावा बाँधें। यह प्रयोग कम से कम पाँच सप्ताह करें।
बृहस्पति :-
(1). साँड को रोजाना सवा किलो 7 अनाज, सवा सौ ग्राम गुड़ सवा महीने तक खिलायें।
(2). हल्दी पाँच गाँठ पीले कपड़े में बाँधकर पीपल के पेड़ पर बाँध दें तथा 3 गाँठ पीले कपड़े में बाँधकर अपने साथ रखें।
(3). बृहस्पतिवार के दिन भुने हुए चने बिना नमक के ग्यारह मन्दिरों के सामने बाँटें। सुबह उठने के बाद घर से निकलते ही जो भी जीव सामने आये उसे ही खिलायें चाहे कोई पशु हो या मनुष्य।
शुक्र :-
(1). उड़द का पौधा घर में लगाकर उस पर सुबह के समय दूध चढ़ायें। प्रथम दिन संकल्प कर पौधे की जड़ में कलावा बाँधें। यह प्रयोग सवा दो महीने तक करें।
(2). सवा दो महीने में जितने दिन होते है, उतने उड़द के दाने सफेद कपड़े में बाँधकर अपने पास रखें।
(3). शुक्रवार के दिन पाँच गेंदे के फूल तथा सवा सौ उड़द पीपल की खोखर में रखें, यह प्रयोग कम से कम पाँच शुक्रवार तक जारी रखें।
शनि :- सवा महिने तक प्रतिदिन तेली के घर बैल को गुड़ तथा तेल लगी रोटी खिलायें।
राहू :-
(1). चन्दन की लकड़ी साथ में रखें। रोजाना सुबह उस चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर पानी में मिलाकर उस पानी को पियें।
(2). साबुत मूँग का खाने में अधिक सेवन करें।
(3). साबुत गेहूँ उबालकर मीठा डालकर कोढ़ियों को खिलावें तथा सत्कार करके घर वापस आयें।
केतु :- मिट्टी के घड़े के बराबर टुकड़े करें। नीचे का हिस्सा काम में लेना है, वह समतल हो अर्थात् किनारे उपर-नीचे न हो। इसमें अब एक छोटा सा छेद करें तथा इस हिस्से को ऐसे स्थान पर जहाँ मनुष्य-पशु आदि का आवागमन न हो अर्थात् एकान्त में, जमीन में गड्ढा कर के गाड़ दें। ऊपर का हिस्सा खुला रखें। अब रोजाना सुबह अपने ऊपर से उबार कर सवा सौ ग्राम दूध उस घड़े के हिस्से में चढ़ावें। दूध चढ़ाने के बाद उससे अलग हो जावें तथा जाते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें।
माँ लक्ष्मी की कृपा :: 
जहाँ दान, धर्म, शील, वहाँ लक्ष्मी का वास होता है। 
बुद्धिमान, भक्त, सत्यवादियों के यहाँ उनका निवास होता है।
जहाँ अधर्म बढ़ने लगता है, उस स्थान को माँ लक्ष्मी त्याग देती हैं। 
जहाँ लोग पितरों का तर्पण, दान-पुण्य नहीं करते,  वहाँ देवी लक्ष्मी का निवास नहीं होता। 
जहाँ पाप कर्मों में लोग लिप्त होते हैं, वहाँ माँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता। 
जहाँ मूर्खों का आदर होता है, वहाँ उनका निवास नहीं होता। 
जिन घरों में स्त्रियाँ दुराचारिणी, बुरे चरित्र वाली होती हैं, जहाँ स्त्रियां उचित ढंग से उठने-बैठने के नियम नहीं अपनाती हैं, जहाँ स्त्रियां साफ-सफाई नहीं रखती हैं, वहाँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता है।
देवी लक्ष्मी स्वयं धनलक्ष्मी, भूति, श्री, श्रद्धा, मेधा, संनति, विजिति, स्थिति, धृति, सिद्धि, समृद्धि, स्वाहा, स्वधा, नियति तथा स्मृति हैं। वे धर्मशील पुरुषों के देश में, नगर में, घर में हमेशा निवास करती हैं।
माता लक्ष्मी उन्हीं लोगों पर कृपा बरसाती हैं, जो युद्ध में पीठ दिखाकर नहीं भागते हैं। शत्रुओं को बाहुबल से पराजित कर देते हैं। शूरवीर लोगों से माँ लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं।
जिन घरों में खाना बनाते समय पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जाता है, जहाँ जूठे हाथों से ही खाना बनाने के बर्तनों, घी को छू लिया जाता है, जहाँ लोग जूठा खाते-खिलाते हैं, वहाँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता।  
जिन घरों में बहु अपने सास-ससुर पर नौकरों के समान हुकुम चलाती है, उन्हें कष्ट देती हैं, अनादर करती है,  लक्ष्मी उन घरों का त्याग कर देती हैं। 
जिस घर में पत्नी अपने पति को प्रताडि़त करती है, पति की आज्ञा का पालन नहीं करती है, उसे नाम लेकर पुकारती है, पति के अतिरिक्त अन्य पुरुषों से अनैतिक संबंध रखती है, माँ लक्ष्मी उन घरों का त्याग कर देती हैं। पति को नाम  लेकर  पुकारने-बुलाने से उसकी आयु क्षीण होती है। 
जो लोग अपने शुभ चिंतकों के नुकसान पर हँसते हैं, उनसे मन ही मन द्वेष भाव रखते हैं, किसी को मित्र बनाकर उसका अहित करते हैं तो  माँ लक्ष्मी की कृपा उनके ऊपर से उठ जाती है और वे लोग सदैव दरिद्र रहते हुए कष्ट भोगते हैं।
आर्थिक तंगी-अभाव-गरीबी दूर करना :: निम्न मंत्र का जप शुभ दिन और मुहूर्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमानुसार जप करें। माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में शुद्ध देशी घी या तिल  के तेल का दिया जलायें। मंत्र का जप हमेशा कमलगट्टे की माला से ही करें। 12 लाख जप होने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। 
"ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं दारिद्रय विनाशके जगत्प्रसूत्यै नम:"
धन वापसी :: प्रातः काल में नित्यकर्म के पश्चात भगवान् सूर्य को जल अर्पण करें। उस जल में 11 बीज लाल मिर्च के डाल दें तथा भगवान् सूर्य से पैसे वापिसी की प्रार्थना करें। "ओम आदित्याय नमः" का जाप करें। सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान दें। माँस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन न करें। परमात्मा में श्रद्धा, भक्ति और विश्वास बनाये रखें।
सम्पत्ति की बिक्री :: 86 (छियासी) साबुत बादाम छिलके सहित लें। नित्यकर्म के उपरान्त बगैर मुँह झूठा किये, दो बादाम लेकर मन्दिर में शिव लिंग या भगवान् शिव की मूर्ति के आगे रखें। हाथ जोड कर भगवान् से सम्पत्ति की उचित दाम पर बिकी की प्रार्थना करें। उन दो बादामों में से एक बादाम वापिस ले आयें। उस बादाम को लाकर घर में कहीं अलग से रख दें। ऐसा 43 दिन तक लगातार करें। 43 दिन के बाद जो बादाम आपने घर में इकट्ठा किए हैं, उन्हें जल में प्रवाहित कर दें।
धन, पद व यश कामना सिद्धि :: धन संपन्न व्यक्ति के लिए विद्यावान, गुणवान और कुलीन या प्रतिष्ठित बनना संभव हो जाता है, इसलिए धन कर्म, कला, शक्ति व ज्ञान प्राप्ति का साधन है। शक्ति, ज्ञान व वैभव का स्वरूप माता महाकाली, माँ महालक्ष्मी व माँ महासरस्वती के रूप में पूजनीय है। माँ महाकाली मलिनता, रोग, दोष व कलह का नाश कर शक्ति संपन्न, महालक्ष्मी धन संपन्न और महासरस्वती विद्या व ज्ञान का स्वामी बनाने वाली हैं। कामनासिद्धि के लिए शुक्रवार को देवी उपासना लाल सामग्रियों से यथा लाल चंदन, अक्षत, लाल फूल, लाल मौली या वस्त्र, नारियल अर्पित कर धूप व घी का दीप प्रज्जवलित करें व लाल आसन पर बैठ धन, पद व यश की कामना के साथ देवी मंदिर या घर पर ही माता महालक्ष्मी, माँ महाकाली व माँ महासरस्वती प्रतिमा या माँ वैष्णो देवी के चित्र के समक्ष बैठकर निम्न मंत्रो का साथ प्रार्थना करें। 
कामेश्वरी महालक्ष्मीं ब्रह्माण्ड वश कारिणीम्। 
सिद्धेश्वरी सिद्धिदात्रीं शत्रूणां भय दानिनीम्॥  
ऋद्धि देवीं पात-वसं उद्यत-भानु सम-प्रभाम्। 
कुलदेवीं नमामि स्वां सर्व-काम-प्रदां शिवाम्॥ 
सिद्धि-रूपेण देवी त्वां विष्णु प्राण-वल्लभाम्। 
काली-रूप धृतां उग्रां रक्तबीज-निपातिनीम्॥ 
विद्या रूप धरां पुण्यां शुभ लाभ प्रद स्थिताम्। 
दुर्गा-रूप-धरां देवीं दैत्य-दर्प-विनाशिनीम्॥ 
मूषक वाहना रूढां सिंह-वाहन-संयुताम्। 
ऋद्धि-सिद्धि, महादेवि पूर्ण सौभाग्यं देहि मे॥ 
मंत्र स्तुति के बाद तीनों देवियों की धूप, दीप व कर्पूर आरती करें। दीपज्योति ग्रहण कर क्षमा प्रार्थना के साथ प्रसाद ग्रहण करें। नारियल लाल वस्त्र में बांध तिजोरी में रखना भी मंगलकारी व समृद्धि दायक है।
अंतहीन भौतिक सुख-शिव पूजा :: सोमवार के दिन शिव पूजा में विशेष पूजा सामग्रियों के साथ-साथ तरह-तरह के अनाज चढ़ाने से भी कामना सिद्धि होती है। महादेव या शिवलिंग के ऊपर चावल, जो टूटे न हो चढ़ाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।  गेंहू चढ़ाकर की गई पूजा से संतान सुख मिलता है। तिल से पूजा करने पर मन, शरीर और विचारों के दोष का अंत हो जाता है। जौ चढ़ाकर शिव की पूजा अंतहीन सुख देती है। मूँग चढ़ाने से विशेष मनोरथ पूरे होते हैं। अरहर के पत्तों से शिव पूजा अनेक तरह के दु:ख दूर करती है।
शिव उपासना की विशेष घडिय़ों में सोमवार का दिन बहुत शुभ है।
सोमवार को स्नान के बाद स्वच्छ व सफेद वस्त्र पहन शान्त मन से शिवालय या घर पर स्फटिक या धातु से बनी शिवलिंग को खासतौर पर शांति की कामना से दूध व शुद्ध जल से स्नान कराएं। सफेद चंदन, वस्त्र, अक्षत, बिल्वपत्र, सफेद आंकड़े के फूल व श्रीफल यानी नारियल पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम: शिवाय" बोलते हुए चढाएं व पूजा के बाद नीचे लिखे शिव का श्रद्धा से स्मरण या जप करें :-
 शिवो गुरु: शिवो देव: शिवो बन्धु: शरीरिणाम्। 
शिव आत्मा शिवो जीव: शिवादन्यन्न किञ्चन
शिव से अलग कुछ भी नहीं है, शिव ही गुरु है, शिव देव हैं, शिव सभी प्राणियों के बन्धु हैं, शिव ही आत्मा है और शिव ही जीव हैं।
मंत्र स्मरण व पूजा के बाद दूध की मिठाई का भोग लगा भगवान् शिव की आरती धूप, दीप व कर्पूर से करें। प्रसाद ग्रहण कर सुकून भरे जीवन की कामना से सिर पर भगवान् शिव को अर्पित सफेद चंदन लगाएं।
भौतिक सुख, आत्मशांति, प्रकोप की शांति हेतु मंत्रोपचार :: 
भगवान् श्री हरी  विष्णु :: (1). ओम नमो भगवते वासुदेवाय, (2). ओम श्री विष्णुवे नमः, (3). ओम नमो नारायणाय। 
शिव उपासना :: (1). ओम नमः शिवाय, (2). ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात, (3). ओम त्रयम्बकं यजामहे सुघंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुक्मेव बंधनान मृत्योंम्रुक्षीय मामृतात, (4). ओम नमो भगवते महारुद्राय, (5). ओम काल रुद्राय नमः। 
धन प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी उपासना :: (1). ओम श्रिम रिम श्रिम कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रिम रिम श्रिम महालक्ष्मेय नमः,  (2). ओम श्रिम नमः, (3). ओम श्रिम श्रिये नमः। 
सफलता व प्रसिद्धि-सूर्य उपासना :: रविवार को स्नान के बाद घर या देवालय के पवित्र स्थान पर सूर्य पूजा करें। जिसमें सूर्य प्रतिमा को लाल चन्दन, चावल, तिल, करवीर या कनेर के फूल के साथ नैवेद्य अर्पित कर स्वच्छ आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ नीचे लिखे मात्र तीन अक्षरी सूर्य मंत्र "ह्रां ह्रीं स:" का कम से कम 108 बार जप करें। मंत्र जप व पूजा के बाद सूर्य की धूप, दीप व कर्पूर आरती करें।
व्यवसाय-व्यापार में सफलता :: दुकान-दफ़्तर की तिजोरी के पास माता महा लक्ष्मी और गणपति जी महाराज की तस्वीर लगायें। दुकान खुलते ही माता लक्ष्मी की पूजा करके आसन ग्रहण करें। 
पूर्व दिशा में दोष के कारण दुख एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है अतः  पूर्व दिशा में सूर्य यंत्र की स्थापना करें तथा प्रात:काल सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्य की उपासना करें। पूर्व दिशा में घर की सम्पत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है। इससे धन में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है।
व्यापार वृद्धि :: ओम  श्रिम श्रिम श्रिम परमा सिद्धि श्रिम ओम। 
आरोग्य  प्राप्ति  ::  (1). माँ भयात  सर्वतो रक्ष श्रियम वर्धय सर्वदा शारीरारोग्य में देहि देवी देवी नमोस्तुते, 
 (2). ओम अच्युताय नमः, ओम अनंताय नमः, ओम गोविन्दाय नमः, ओम  रुद्राय नमः। 
 
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