Thursday, August 6, 2015

श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com
ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद् भगवद्गीता 2.47]
ईश्वर उवाच :-
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥1॥
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥2॥
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥3॥
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्द स्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥4॥
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी॥5॥
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बर परीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी॥6॥
अमेयविक्रमा क्रुरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥7॥
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥8॥
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहन वाहना॥9॥
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी॥10॥
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥11॥
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥12॥
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥13॥
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥14॥
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥15॥
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥16॥
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥17॥
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्।
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥18॥
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥19॥
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेव सिन्धूरकर्पूरमधुत्रयेण।
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥20॥
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् संपदां पदम्॥21॥
श्री विश्वसारतन्त्रे दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्त।
श्रीदुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्र :: 
ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥1॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥2॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥3॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥5॥
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्र्यन्ति॥6॥
सर्वबाधाप्रश्मनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥7॥
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
नव दुर्गा जी 108 नाम :: 
(1). सती :- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली,
(2). साध्वी :- अच्छे चरित्रवाली, वह स्त्री जिसने वैराग्य धारण कर लिया हो, भली तथा शुद्ध आचरणवाली स्त्री, पतिव्रता।
(3). भवप्रीता :- भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली,
(4). भवानी :- ब्रह्मांड की निवास (pervading the entire universe, cosmos),
(5). भवमोचनी :- संसार बंधनों से मुक्त करने वाली,
(6). आर्या :- देवी,
(7). दुर्गा :- अपराजेय,
(8). जया :- विजयी,
(9). आद्य :- शुरूआत की वास्तविकता,
(10). त्रिनेत्र :- तीन आँखों वाली (three eyed),
(11). शूलधारिणी :- शूल धारण करने वाली,
(12). पिनाकधारिणी :- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली,
(13). चित्रा :- सुरम्य, सुंदर,
(14). चण्डघण्टा :- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली,
(15). महातपा :- भारी तपस्या करने वाली (absolute ascetic),
(16). मन :- मनन- शक्ति (innerself, psyche, mood),
(17). बुद्धि :- सर्वज्ञाता (Intelligence),
(18). अहंकारा :- अभिमान करने वाली (egoistic),
(19). चित्तरूपा :- वह जो सोच की अवस्था में है,
(20). चिता :- मृत्युशय्या,
(21). चिति :- चेतना (consciousness),
(22). सर्वमन्त्रमयी :- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली,
(23). सत्ता :- सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है,
(24). सत्यानन्दस्वरूपिणी :- अनन्त आनंद का रूप,
(25). अनन्ता :- जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं,
(26). भाविनी :- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत,
(27). भाव्या :- भावना एवं ध्यान करने योग्य,
(28). भव्या :- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ,
(29). अभव्या :- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं,
(30). सदागति :- हमेशा गति में, मोक्ष दान,
(31). शाम्भवी :- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी,
(32). देवमाता :- देवगण की माता,
(33). चिन्ता :- चिन्ता,
(34). रत्नप्रिया :- गहने से प्यार,
(35). सर्वविद्या :- ज्ञान का निवास,
(36). दक्षकन्या :- दक्ष की बेटी,
(37). दक्षयज्ञविनाशिनी :- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली,
(38). अपर्णा :- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली,
(39). अनेकवर्णा :- अनेक रंगों वाली,
(40). पाटला :- लाल रंग वाली,
(41). पाटलावती :- गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली,
(42). पट्टाम्बरपरीधाना :- रेशमी वस्त्र पहनने वाली,
(43). कलामंजीरारंजिनी :- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली,
(44). अमेय :- जिसकी कोई सीमा नहीं (infinitre, limitless)),
(45). विक्रमा :- असीम पराक्रमी,
(46). क्रूरा :- दैत्यों के प्रति कठोर,
(47). सुन्दरी :- सुंदर रूप वाली (beautiful),
(48). सुरसुन्दरी :- अत्यंत सुंदर,
(49). वनदुर्गा :- जंगलों की देवी,
(50). मातंगी :- मतंगा की देवी,
(51). मातंगमुनिपूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय,
(52). ब्राह्मी :- भगवान ब्रह्मा की शक्ति,
(53). माहेश्वरी :- प्रभु शिव की शक्ति,
(54). इंद्री :- इन्द्र की शक्ति,
(55). कौमारी :- किशोरी,
(56). वैष्णवी :- अजेय,
(57). चामुण्डा :- चंड और मुंड का नाश करने वाली,
(58). वाराही :- वराह पर सवार होने वाली,
(59). लक्ष्मी :- सौभाग्य की देवी,
(60). पुरुषाकृति :- वह जो पुरुष धारण कर ले,
(61). विमिलौत्त्कार्शिनी :- आनन्द प्रदान करने वाली,
(62). ज्ञाना :- ज्ञान से भरी हुई (enlightened),
(63). क्रिया :- हर कार्य में होने वाली,
(64). नित्या :- अनन्त,
(65). बुद्धिदा :- ज्ञान देने वाली,
(66). बहुला :- विभिन्न रूपों वाली,
(67). बहुलप्रेमा :- सर्व प्रिय,
(68). सर्ववाहनवाहना :- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली,
(69). निशुम्भशुम्भहननी :- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली,
(70). महिषासुरमर्दिनि :- महिषासुर का वध करने वाली,
(71). मधुकैटभहंत्री :- मधु व कैटभ का नाश करने वाली,
(72). चण्डमुण्ड विनाशिनि :- चंड और मुंड का नाश करने वाली,
(73). सर्वासुरविनाशा :- सभी राक्षसों का नाश करने वाली,
(74). सर्वदानवघातिनी :- संहार के लिए शक्ति रखने वाली,
(75). सर्वशास्त्रमयी :- सभी सिद्धांतों में निपुण,
(76). सत्या :- सच्चाई,
(77). सर्वास्त्रधारिणी :- सभी हथियारों धारण करने वाली,
(78). अनेकशस्त्रहस्ता :- हाथों में कई हथियार धारण करने वाली,
(79). अनेकास्त्रधारिणी :- अनेक हथियारों को धारण करने वाली,
(80). कुमारी :- सुंदर किशोरी,
(81). एककन्या :- कन्या,
(82). कैशोरी :- जवान लड़की,
(83). युवती :- नारी (young woman),
(84). यति :- तपस्वी (ascetic),
(85). अप्रौढा :- जो कभी पुराना ना हो,
(86). प्रौढा :- जो पुराना है,
(87). वृद्धमाता :- शिथिल,
(88). बलप्रदा :- शक्ति देने वाली,
(89). महोदरी :- ब्रह्मांड को संभालने वाली,
(90). मुक्तकेशी :- खुले बाल वाली,
(91). घोररूपा :- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली,
(92). महाबला :- अपार शक्ति वाली,
(93). अग्निज्वाला :- मार्मिक आग की तरह,
(94). रौद्रमुखी :- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा,
(95). कालरात्रि :- काले रंग वाली,
(96). तपस्विनी :- तपस्या में लगे हुए,
(97). नारायणी :- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप,
(98). भद्रकाली :- काली का भयंकर रूप,
(99). विष्णुमाया :- भगवान विष्णु का जादू,
(100). जलोदरी : ब्रह्मांड में निवास करने वाली,
(101). शिवदूती :- भगवान शिव की राजदूत,
(102). करली :- हिंसक,
(103). अनन्ता :- विनाश रहित,
(104). परमेश्वरी :- प्रथम देवी,
(105). कात्यायनी :- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय,
(106). सावित्री :- सूर्य की बेटी,
(107). प्रत्यक्षा :- वास्तविक,
(108). ब्रह्मवादिनी :- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली।

Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS ARE RESERVED WITH THE AUTHOR.   

No comments:

Post a Comment