Monday, February 20, 2023

DEV MATA देवमाता अदिति (ऋग्वेद RIG VED 5)

MOTHER OF DEMIGODS  
देवमाता अदिति
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
समस्त देव ‍कुलों को जन्म देने वाली अदिति देवियों की भी माता है। अदिति को लोकमाता भी कहा गया है। अदिति के पति ऋषि कश्यप ब्रह्मा जी के मानस पुत्र मरीची के विद्वान पुत्र थे। मान्यता के अनुसार इन्हें अनिष्ट नेमी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता कला कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी।
अदिति के पुत्र विवस्वान् से वैवस्वत मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करुष और पृषध्र नामक 10 श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई। विवस्वान को ही सूर्य कहा गया है, जिनकी आकाश में स्थित सूर्य ग्रह से तुलना की गई। सूर्य के कई अन्य भी पुत्र थे। भगवान् श्री कृष्ण की माता देवकी अदिति का अवतार बताई जाती हैं। सूर्य नारायण के परिवार की विस्तृत कथा भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण, मार्कण्डेय पुराण तथा साम्बपुराण में वर्णित है।
ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति से जन्मे पुत्रों को आदित्य कहा गया है। वेदों में जहाँ अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है, वहीं सूर्य को भी आदित्य कहा गया है।
अदिति के पुत्र धाता, मित्र, अर्यमा, शक्र, वरुण, अंश, भग, विवस्वान्, पूषा, सविता, त्वष्टा और विष्णु 12 आदित्य हैं।
ऋग्वेद संहिता, चतुर्थ मण्डल सूक्त (18) :: ऋषि :- वामदेव,  गौतम, देवता :- इन्द्र,  अदिति, छन्द :- त्रिष्टुप्।
अयं पन्था अनुवित्तः पुराणो यतो देवा उदजायन्त विश्वे।
अतश्चिदा जनिषीष्ट प्रवृद्धो मा मातरममुया पत्तवे कः॥
इन्द्र देव कहते हैं, "यह योनि निर्गमण रूप मार्ग अनादि और पूर्वापर लब्ध है। इसी योनि मार्ग से सम्पूर्ण देव और मनुष्य उत्पन्न हुए हैं; इसलिए आप गर्भ में प्रवृद्ध होकर इसी मार्ग द्वारा उत्पन्न होवें। माता की मृत्यु के लिए कार्य मत करो"। 
यह रास्ता अनादि समय से चलता आ रहा है, जिसके द्वारा विभिन्न भोगों और एक दूसरे को चाहने वाले नर-नारी ज्ञानीजन आदि रचित होते हुए प्रवृद्ध होते हैं। उच्चस्थ पदवी वाले समर्थवान व्यक्ति भी इस परम्परागत रास्ते से ही रचित होते हैं। हे मनुष्य! अपनी जननी माता को अनादर करने का प्रयास न करें।[ऋग्वेद 4.18.1]
Indr Dev said that the sequence of birth through the womb-vagina has been prevalent ever since. All demigods-deities appeared through this route. Establish yourself in the womb and prevent mother's death. 
नाहमतो निरया दुर्गर्तैत्तिरश्चता पार्श्वान्निर्गमाणि।
बहूनि मे अकृता कर्त्वानि युध्यै त्वेन सं त्वेन पृच्छै
वामदेव कहते हैं, "हम इस योनि मार्ग द्वारा नहीं निर्गत होंगे। यह मार्ग अत्यन्त दुर्गम है। हम पार्श्व भेद करके निर्गत होंगे। दूसरों के द्वारा अकरणीय बहुत से कार्य हमें करने हैं। हमें एक के साथ युद्ध करना है। हमें एक के साथ वाद-विवाद करना है"।[ऋग्वेद 4.18.2]
निर्गत :: बाहर आया हुआ, निःसृत; issued, come forth, gone forth.
निर्गतहम पूर्वोक्त योनि मार्ग से नहीं बच सकते। टेढ़े रास्ते से पशु-पक्षी के रूप में जन्म लेकर भी जीवन बड़े दुख से व्यतीत होता है। मैं चाहता हूँ कि इस फंदे से निकल जाऊँ। मुझे अनेक कष्ट न उठाने पड़ें। बार-बार का झगड़ा सब झमेला मात्र है। हमको संसार पथ के किनारे लगने का प्रयास करना चाहिये।
Vamdev said that he would not like to follow that route of birth, since it was very tough, intricate, difficult. We would prefer lateral route. We have to conduct several tasks deferred by others, undertake wars & have debate.
परायतीं मातरमन्वचष्ट न नानु गान्यनु नू गमानि।
त्वष्टुगृहे अपिबत्सोममिन्द्रः शतधन्यं चम्वोः सुतस्य
इन्द्र देव कहते हैं, "हमारी माता मर जायगी, तथापि हम पुरातन मार्ग का अनुधावन नहीं करेंगे, शीघ्र बहिर्गत होंगे"। (इन्द्र ने जो यथेच्छा चरण किए, उसी को वामदेव कहते हैं) इन्द्र देव अभिषवकारी त्वष्टा के घर में सोमाभिषव फलक द्वारा अभिषुत सोमरस का पान बलपूर्वक किया, वह सोमरस बहुत धन द्वारा क्रीत था।[ऋग्वेद 4.18.3]
जैसे अपनी जननी की मृत्यु पर कोई व्यक्ति कहता है कि मैं भी इसके पीछे ही चला जाऊँ या न जाऊँ। कालोपरांत वह ज्ञान-धैर्य आदि से शांत होकर पिता के घर में पुत्र बनकर रहता हुआ जीवन का उपयोग करता है। उसी प्रकार विवेकी होकर त्वष्टा के गृह में सोमपान करता है। अदिति ने उस शक्तिशाली इन्द्र को महीनों वर्षों तक धारण किया था। उस श्रेष्ठ इन्द्रदेव ने अनेक विशिष्ट कार्य किए। उनकी समानता उत्पन्न हुए अथवा आगे उत्पन्न होने वालों में से कोई नहीं कर सकता।
Indr Dev said that he would not discard that route which may kill his mother-Aditi. Indr Dev consumed the Somras at Twasta's house which was bought with a lot of money.
किं स ऋधक्कृणवद्यं सहस्रं मासो जभार शरदश्च पूर्वीः।
नही न्वस्य प्रतिमानमस्त्यन्तर्जातेषूत ये जनित्वाः
"अदिति ने इन्द्र देव को अनेक मासों और अनेक संवत्सरों तक गर्भ में धारित किया। इन्द्र देव ने यह विरुद्ध कार्य क्यों किया अर्थात गर्भ में बहुत दिनों तक रहकर इन्द्र देव ने माता अदिति को कष्ट दिया"। इन्द्र देव के ऊपर किये गये आक्षेप को सुनकर अदिति कहती हैं, "हे वामदेव! जो उत्पन्न हुए हैं और जो देवादि उत्पन्न होंगे, उनके साथ इन्द्र की तुलना कदापि नहीं हो सकती"। [ऋग्वेद 4.18.4]
अदिति ने उस शक्तिशाली इन्द्र को महीनों वर्षों तक धारण किया था। उस श्रेष्ठ इन्द्रदेव ने अनेक विशिष्ट कार्य किए। उनकी समानता उत्पन्न हुए अथवा आगे उत्पन्न होने वालों में से कोई नहीं कर सकता।
Vamdev accused Indr Dev of staying in the womb of his mother for many months and years, torturing her. Aditi, his mother replied that those who were born and those were going to take birth could not be compared with Indr Dev.
अवद्यमिव मन्यमाना गुहाकरिन्द्रं माता वीर्येणा न्यृष्टम्।
अथोदस्थात्स्वयमत्कं वसान आ रोदसी अपृणाज्जायमानः
गह्वर रूप सूतिका गृह में उत्पन्न इन्द्र देव को निन्दनीय मानकर माता ने उन्हें अतिशय सामर्थ्यवान किया। अनन्तर, उत्पन्न होते ही इन्द्र देव ने अपने ओज को धारित करके खड़े हुए और द्यावा-पृथ्वी को अपने तेज से परिपूर्ण कर दिया।[ऋग्वेद 4.18.5]
गह्वर :: गड्ढा, बिल, विवर, गुफा, अँधेरा एवं गहरा स्थान, देवालय, मंदिर, गहरा, घना, दुर्गम; deep, precipice, chasm.
अदिति ने उस इन्द्र को गति देने में समर्थ मानते हुए अदृश्य रूप से धारण किया और फिर इन्द्र देव ने अपनी ही सामर्थ्य से रचित तेज को धारण करते हुए सर्वोच्च वर्ग और आकाश-पृथ्वी दोनों को युक्त किया।
Deeming it disreputable that he should be brought forth in secret, his mother Aditi endowed Indr Dev with extraordinary vigour; therefore, as soon as born he sprung up of his own accord, invested with splendour and filled both heaven and earth.
Mother Aditi nourished Indr Dev secretly, considering him to be capable, keeping him invisible and granted him extraordinary vigour. Thereafter, Indr Dev lit the earth and sky-heaven with his aura-radiance as soon he took birth.
एता अर्षन्त्यललाभवन्तीर्ऋतावरीरिव संक्रोशमानाः।
एता वि पृच्छ किमिदं भनन्ति कमापो अद्रिं परिधिं रुजन्ति
"अ-ल-ला शब्द करती हुई अथवा हर्ष ध्वनी करती हुई ये जलवती नदियाँ इन्द्र देव के महत्त्व को प्रकट करने के लिए हर्ष पूर्वक बहुविध शब्द करती हुई बहती है। हे ऋषि! आप इन नदियों से पूछो कि ये क्या बोलती है? यह शब्द इन्द्र देव के माहात्म्य का सूचक है। मेरे पुत्र इन्द्र देव ने ही उदक के आदरक मेघ को विदीर्ण करके जल को प्रवर्तित किया।[ऋग्वेद 4.18.6]
अत्यन्त ध्वनि करती जल से पूर्ण सरिताएँ इन्द्र के महत्त्व को प्रकट करती हुई कहती है कि हे विद्वान! यह सरिताएँ क्या कहती हैं, यह इनसे पूछो। क्या यह इन्द्र देव का यशोगान करती हैं। इन्द्र का यशोगान रोकने वाले मेघ को फाड़कर जल की वर्षा की थी।
The river show their pleasure, generating several thrilling sounds depicting the significance of Indr Dev. Hey Rishi! ask these river what they speak? This statement signify the greatness-importance of Indr Dev. Her son-Indr Dev teared into the clouds and produced rains.
किमु ष्विदस्मै निविदो भनन्तेन्द्रस्यावद्यं दिधिषन्त आपः।
ममैतान्पुत्रो महता वधेन वृत्रं जघन्वाँ असृजद्वि सिन्धून्
वृत्र वध से ब्रह्म हत्या रूप पाप को प्राप्त करने वाले इन्द्र देव को वेद वाणी क्या कहती है? जल फेन रूप से इन्द्र देव के पाप को धारित करता है। मेरे पुत्र इन्द्र देव ने महान् वज्र से वृत्रासुर का वध किया और इन नदियों को प्रवाहित किया।[ऋग्वेद 4.18.7]
वृत्र की हत्या करने पर इन्द्र देव को ब्रह्म हत्या का जो पाप लगा, उस सम्बन्ध में वेद वाणी क्या कहती है? इन्द्र देव के उस पाप को जल ने फेन के रूप में धारण किया। इन्द्र देव ने अपने श्रेष्ठ वज्र द्वारा वृत्र को विदीर्ण कर सरिताओं को प्रवाहमान किया।
What is the opinion of Ved regarding the slaying of Vratr leading to the sin of Brahm Hatya-murder of a Brahman? The water bears the foam over it, as the sin of Indr Dev. Aditi's son Indr dev killed Vrata Sur and let the rivers flow.
ममचन त्वा युवतिः परास ममचन त्वा कुषवा जगार।
ममचिदापः शिशवे ममृड्युर्ममच्चिदिन्द्रः सहसोदतिष्ठत्
वामदेव कहते हैं, “आपकी युवती माता अदिति ने हर्षित होकर आपको उत्पन्न किया। कुषवा नाम की राक्षसी ने प्रमत्त होकर आपको ग्रास बनाया। हे इन्द्र देव! उत्पन्न होने पर आपको जल समूह ने प्रमत्त होकर सुखी किया"। इन्द्र देव ने हर्षित होकर अपने वीर्य के प्रभाव से सूतिका गृह में राक्षसी को निगलने का प्रयास किया था।[ऋग्वेद 4.18.8]
हे इन्द्र देव! अत्यन्त प्रसन्नता वाली नारी अदिति ने ममतामय होकर तुम्हें जन्म दिया। कुषवा नाम की राक्षसी से तुम्हें अपना ग्रास बनाने का प्रयत्न किया। तुम्हारे उत्पन्न होते ही सुख प्रदान किया। तुम अपनी क्षमता से सूतिका गृह से उस राक्षसी को मार देने को तैयार हुए।
Vam Dev addressed Indr Dev and said that his young mother gave him birth. The intoxicated demoness Kushva engulfed him. Hey Indr Dev! Water bodies made you happy as soon as you were born. Indr Dev became happy and tried to swallow the demoness.
ममच्चन ते मघवन्व्यंसो निविविध्वाँ अप हनू जघान।
अधा निविद्ध उत्तरो बभूवाञ्छिरो दासस्य सं पिणग्वधेन
हे धनवान इन्द्र देव! व्यंस नामक राक्षस ने प्रमत्त होकर आपके हनुद्वय (चिबुक के अधोभाग) को विद्ध करके अपहृत किया। हे इन्द्र देव! इसके अनन्तर अधिक बलवान होकर आपने व्यंस राक्षस के सिर को वज्र द्वारा पीस डाला।[ऋग्वेद 4.18.9]
हे समद्धि के स्वामी इन्द्रदेव! मद से परिपूर्ण होकर व्यंस नामक दैत्य ने तुम्हारी ठोढ़ी के आधे हिस्से में आघात पहुँचाया, जब तुमने शक्ति से व्यंस के सिर को वज्र से अच्छी तरह से कुचल डाला।
Hey wealthy-rich Indr Dev! The demon called Vyans struck your chin, under intoxication and abducted you. Thereafter, you became mighty and powdered his head with Vajr.
गृष्टिः ससूव स्थविरं तवागामनाधृष्यं वृषभं तुम्रमिन्द्रम्।
अरीळ्हं वत्सं चरथाय माता स्वयं गातुं तन्व इच्छमानम्
सकृत्प्रसूता (एक बार ब्यायी हुई) गौ जिस प्रकार से बछड़े का प्रसव करती है, उसी प्रकार इन्द्र की माता अदिति ने अपनी इच्छा से सञ्चरण करने के लिए इन्द्र देव को प्रसव है। इन्द्र देव अवस्था में वृद्ध, प्रभूत बलशाली, अनभिभवनीय, अभीष्टवर्षी, प्रेरक, अनभि स्वयं गमनक्षम और शरीराभिलाषी हैं।[ऋग्वेद 4.18.10]
जैसे गाय शक्तिशाली बछड़े को उत्पन्न करती है, वैसे ही इन्द्र की जननी अदिति अपनी इच्छा पर चलने वाले, सभी शक्तियों से सम्पन्न, सर्व विजेता इन्द्र को जन्म देती है। वह इन्द्र सभी के प्रेरक, अविनाशी, सर्वव्याप्त, अभीष्टों की वर्षा करने वाले एवं कर्मों का फल देने में सक्षम हैं।
The way a cow give birth to the calf, Mata Aditi channelized-centralised her powers and gave birth to Indr Dev. Indr Dev is possessor of might, power, desires granting, inspiring, all pervading-dynamic and capable of awarding the rewards of endeavours-Karm.
उत माता महिषमन्ववेनदमी त्वा जहति पुत्र देवाः।
अथाब्रवीद् वृत्रमिन्द्रो हनिष्यन्त्सखे विष्णो वितरं विक्रमस्व
इन्द्र की माता अदिति ने महिमावान इन्द्र देव से पूछा, "हे मेरे पुत्र इन्द्र देव, अग्नि देव आपको त्याग रहे हैं"। इन्द्र देव ने श्री हरी विष्णु से कहा, "हे मित्र श्री विष्णु! आप यदि वृत्रासुर को मारने की इच्छा करते हैं, तो अत्यन्त पराक्रमशाली होवें"।[ऋग्वेद 4.18.11]
माता अदिति श्रेष्ठ समृद्धि वाले तुम इन्द्र देव की अभिलाषा करती हुई कहती हैं कि हे पुत्र इन्द्र देव! यह सभी विजयाभिलाषी पराक्रमी तुम्हें ग्रहण होते हैं। तब इन्द्रदेव ने कहा, हे विष्णो! तुम वृत्र को वध करने की कामना करते हुए अत्यन्त पराक्रमी बनो।
Indr Dev's mother Mata Aditi,  inquired of the mighty Indr Dev, whether the deities, Agni Dev etc. had deserted him? Indr Dev asked Shri Hari Vishnu if he purposed to slay Vrata Sur and become mighty possessing great valour.
कस्ते मातरं विधवामचक्रच्छयुं कस्त्वामजिघांसच्चरन्तम्।
कस्ते देवो अधि मार्डीक आसीद्यत्प्राक्षिणाः पितरं पादगृह्य
हे इन्द्र देव! आपके अतिरिक्त किस देव ने माता को विधवा किया! आप जिस समय शयन कर रहे थे अथवा जाग रहे थे; उस समय किसने आपको मारना चाहा? कौन देवता देने में आपकी अपेक्षा अधिक हैं? किस कारण वश आपने पिता के दोनों चरणों को पकड़कर उनका वध किया?[ऋग्वेद 4.18.12]
हे इन्द्र देव! तुम्हारा कौन सा शत्रु पैरों को पकड़ सकता कर तुम्हारे पिता को
मारकर माता की विधवा बना सकता है? तुमको सोते समय या चलते समय कौन मार सकता है? तुम्हारे अतिरिक्त ऐसा कौन सा देवता है, जो ऊँची पदवी पा सकता है।
Who has made your mother a widow!? Who has sought to slay you while the sleeping or walking!? Which deity has been more gracious than you since you slained the father, having seized him by the foot?
Hey Indr Dev! Who can kill your father holding his legs making your mother a widow!? Who can kill while moving or sleeping?! Which deity other than you can attain a high post, designation?!
अवर्त्या श्रुन आन्त्राणि पेचे न देवेषु विविदे मर्डितारम्।
अपश्यं जायाममहीयमानामधा मै श्येनो मध्वा जभार
हमने भूख से पीड़ित होकर कुत्ते की अँतड़ी को पकाकर खाया। हमने देवों के बीच में इन्द्र देव के अतिरिक्त अन्य देव को सुख दायक नहीं पाया। हमने अपनी पत्नी को असम्मानित होते देखा। इसके अनन्तर इन्द्र देव हमारे लिए मधुर जल लावें।[ऋग्वेद 4.18.13]
हमने निर्धनता वश कुत्ते की आत्रों को भी पकाया, तब तुम्हारे लिए देवों में इन्द्रदेव के अतिरिक्त कोई भी सुख प्रदान करने वाला नहीं हुआ। जब हमने अपनी पत्नी को अपमानित होते देखा, तब इन्द्र देव ने ही हमारी सुरक्षा की और मधुर रस प्रदान किया।
We cooked & ate the intestine of the dog due to intolerable hunger. We did not find any other demigod-deity who could grant us comfort. We saw our wife being insulted. Indr Dev granted us solace and offered us water-sweep sap.(21.02.2023)
यो अश्वस्य दधिक्राव्णो अकारीत्समिद्धे अग्ना उषसो व्युष्टौ।
अनागसं तमदितिः कृणोतु स मित्रेण वरुणेना सजोषाः
जो याजकगण उषा के प्रकाशित होने पर अर्थात प्रभात होने पर और अग्नि देव के समिद्ध होने पर अश्व रूप दधिक्रा की प्रार्थना करते हैं, मित्र, वरुण और अदिति के साथ दधिक्रादेव उस याजकरण को निष्पाप करें।[ऋग्वेद 4.39.3]
जो यजमान उषाकाल में अग्नि प्रज्जवलित होने पर घोड़े रूप दधिक्रा का पूजन करते हैं, उनकी सखा, वरुण, अदिति और दधिक्रा पापों से बचावें।
Those Ritviz-hosts, who worship Dadhikra Dev; when Agni Dev is being ignited with the day break, he makes them sinless in association with Mitr, Varun & Aditi.
हंसः शुचिषद्वसुरन्तरिक्षसद्धोता वेदिषदतिथिर्दुरोणसत्। नृषद्वरसदृतसव्द्योमसदब्जा गोजा ऋतजा अद्रिजा ऋतम्
हंस (आदित्य) दीप्त आकाश में अवस्थित रहते हैं। वसु (वायु) अन्तरिक्ष में अवस्थिति करते है। होता (वैदिकाग्नि) वेदीस्थल पर गार्हपत्यादि रूप से अवस्थिति करते हैं एवं अतिथिवत पूज्य होकर धर में (पाकादिसाधन रूप से) अवस्थिति करते हैं। ऋत (सत्य, ब्रह्म, यक्ष ) मनुष्यों के बीच में अवस्थान करते हैं, वरणीय स्थान में अवस्थान करते हैं, यज्ञस्थल में अवस्थान करते हैं एवं अन्तरिक्ष स्थल में अवस्थान करते हैं। वे जल में, रश्मियों में, सत्य में और पर्वतों में उत्पन्न हुए हैं।[ऋग्वेद 4.40.5]
अवस्थित नभ में वायु अंतरिक्ष में और होता इत्यादि वेदी पर आते हैं। अदिति के समान पूजनीय होकर गृह में निवास करते हैं। ऋभु मनुष्यों में वरणीय स्थान तथा यज्ञ-स्थल में रहते हैं। वे नत, रश्मि, सत्य और शैलों में उत्पन्न हुए हैं।
Swans (Hans-Adity) stay-establish in the sky. Vasu Vayu stay in the space. The hosts-Ritviz stay at the Yagy site like the fire and honoured like Aditi. Rat dev (Truth, Brahm & Yaksh) establish between-amongest the humans & the space-sky. They are born in the waters, rays of light and the mountains.
स्वस्तये वायुमुप ब्रवामहै सोमं स्वस्ति भुवनस्य यस्पतिः।
बृहस्पतिं सर्वगणं स्वस्तये स्वस्तय आदित्यासो भवन्तु नः
कल्याण के लिए हम लोग वायु देव की प्रार्थना करते हैं और सोमरस का भी स्तवन करते हैं। सोम निखिल लोक के पालक हैं। सब देवों के साथ मन्त्र पालक बृहस्पति देव की प्रार्थना कल्याण के लिए करते हैं। अदिति के पुत्र देवगण अथवा अरुणादि द्वादश देव हम लोगों के लिए कल्याणकारी हों।[ऋग्वेद 5.51.12]
We worship Vayu Dev for our welfare and extract Somras for him. Som nourish-nurture the whole world. We worship Brahaspati Dev with all demigods-deities, who is the supporter of Mantr Shakti, for our welfare. Let the son of Aditi Demigods and the twelve Adity Gan be helpful to us i.e., resort to our welfare. 
देवेभिर्देव्यदितेऽरिष्टभर्मन्ना गहि। स्मत्सूरिभिः पुरुप्रिये सुशर्मभिः
हे देवताओं! अहिंसित-पोषक और बहुतों द्वारा प्रीयमाणा माता अदिति, प्राज्ञ और सुख देने वाले देवताओं के साथ सुन्दर रूप से हमारे निकट आगमन करें।[ऋग्वेद 8.18.4]
प्रीयमाणा :: प्रिय, स्नेही; beloved.
Hey demigods-deities! Mata Aditi loved by many, non violent & caring-nursing, enlightened and comforts granting, should come to us with demigods-deities.
ते हि पुत्रासो अदितेर्विदुर्द्वषांसि योतवे। अंहोश्चिदुरुचक्रयोऽ नेहसः
माता अदिति के वे मित्रादि पुत्र गण द्वेषियों को पृथक करना जानते हैं। विस्तीर्ण कर्मकर्ता और रक्षक लोग हमें पापाचारों से अलग करना जानते हैं।[ऋग्वेद 8.18.5]
Friends and sons of Mata Aditi know how to alienate the envious. Performers of broad-great jobs & protectors know how to alienate us from sinful behaviour 
अदितिर्नो दिवा पशुमदितिर्नक्तमद्वयाः। अदितिः पात्वंहसः सदावृधा
दिन में हमारे पशुओं की रक्षा माता अदिति करें, सदैव एक समान रहने वाली माता अदिति रात्रि में भी हमारे पशुओं की रक्षा करें। सदैव वर्द्धनशील रक्षणों द्वारा हमें पापकर्म से बचावें।[ऋग्वेद 8.18.6]
Let Mata Aditi, always remaining alike-composed, protect our cattle-animals during the day & night. She should protect us with always-ever increasing protection means-measures from sins.
उत स्या नो दिवा मतिरदितिरूत्या गमत्। सा शान्ताति मयस्करदप स्त्रिधः
स्तुति योग्य वे माता अदिति रक्षा के साथ दिन में हमारे पास आवें। वे शान्ति दाता हमें शान्ति प्रदान करते हुए सुख प्रदान करें। वे हमारी बाधाओं को दूर करें।[ऋग्वेद 8.18.7]
Worshipable Mata Aditi should come to us during the day, for our protection. She should grant us peace, tranquillity, solace added with comforts. She should remove our hurdles.

    
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