Saturday, July 25, 2015

गरुड़ गोविन्द स्तोत्र

गरुड़ गोविन्द स्तोत्र
 CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।  
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
एकदा सुखमासीनम गर्गाचार्य मुनीश्वरम। 
बहुलाश्वः परिपपच्छः सर्व शास्त्र विशारदम॥1॥ 
श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्रं कथयामे प्रभो।
एतब्दी ज्ञान मात्रेण भुक्ति मुक्ति प्रजायते॥2॥ 
गर्गोवाच :-
श्रणु राजन प्रवक्ष्यामि गुह्यादी गुह्यतरं परम। 
एतब्दी ज्ञान मात्रेण सर्व सिद्धि प्रजायते॥3॥ 
गोविन्दो गरुदोपेतो गोपालो गोप बल्लभ।   
गरुड़गामी गजोद्धारी गरुड़वाहन ते नमः॥4॥
गोविन्दः गरुडारूद गरुड़ प्रियते नमः। 
 |गरुड़ त्रान कारिस्ते गरुड़ स्थितः ते नमः॥5॥
गरुड़ आर्त हरः स्वामी ब्रजबाला प्रपूजकः।  
विहंगम सखा श्रीमान गोविन्दो जन रक्षकः॥6॥
गरुड़ स्कंध समारुड भक्तवत्सल! ते नमः। 
लक्ष्मी गरुड़ सम्पन्नः श्यामसुन्दर ते नमः॥7॥ 
द्वादशभुजधारी च द्वादश अरण्य नृत्य कृत। 
रामावतार त्रेतायां द्वापरे कृष्ण रूप ध्रक॥8॥
शंख चक्र गदा धारी पद्म धारी जगत्पति। 
क्षीराब्धि तनया स्नेह पूर्णपात्र रस व्रती॥9॥
पक्शिनाम लाल्पमानाय स व्यपाणीतले नहि। 
पुनः सुस्मित वक्राय नित्यमेव नमो नमः॥10॥  
ब्रजांगना रासरतो ब्रजबाला जन प्रियः। 
गोविन्दो गरुडानंदो गोपिका प्रणपालकः॥11॥
गोविन्दो गोपिकानाथो गोचारण तत्परः। 
गोविन्दो गोकुलानान्दो गोवर्धन प्रपूजकः॥12॥ 
श्रीमद गरुड़ गोविन्दः संसार भय नाशनः। 
धर्मार्थ काम मोक्षानाम खल्विदं साधनं महत॥13॥ 
ध्यानं गरुड़ गोविन्दस्य सदा सुखदम न्रनाम। 
रोग क्लेशादीहारिः श्री धनधान्य प्रपद्यकः॥14॥ 
श्रीमद गरुड़गोविन्द स्मार्कानामयम स्तवः। 
पुत्र पौत्र कलत्रानाम धन धान्य यशस्कर॥15॥
गोविन्द! गोविन्द! विहंगयुक्त! नमोस्तुते द्वादश बाहू युक्त। 
गोविप्र रक्षार्थ अवतार धारम,लक्ष्मीपते नित्यमथो नमस्ते॥16॥
वृन्दावन विहारी च रासलीला मधुव्रतः। 
राधा विनोद कारिस्ते राधाराधित ते नमः॥17॥ 
गोलोक धाम वास्तको वृषभानु सुता प्रियः। 
विहंगोपेंद्र नामे दंता पत्रे विनाशनम॥18॥ 
गरुड़ अभिमान हर्ता च गरुड़ आसन संस्थितः। 
वेणु वाद्यमहोल्लास वेणुवाहन तत्परः॥19॥ 
भक्त्स्यानंदकारी स्वभक्त प्रियते नमः। 
माधव गरुड़ गोविन्द करूणासिन्धवे नमः॥1॥ 
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु द्वादशाक्षर मंत्रकम। 
अथवा गरुड़ गायत्री धयात्वा सम्पुटमेव हि॥20॥ 
श्रीमद गरुड़ गोविन्द नाम मात्रेण केवलं। 
अपस्मार विष व्यालं शत्रु बाधा प्रनश्यती॥21॥ 
अधुना गरुड़ गोविन्द गायत्री कथयाम्यहम :-
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्पुरुषाय विद्महे गरुड़ गोविन्दाय
 धीमहि तन्नो गोविन्द प्रचोदयात॥22॥ 
गरुड़ गायत्री ::
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्पुरुषाय विद्महे स्वर्ण पक्षाय धीमहि तन्नो गरुड़ प्रचोदयात॥23॥ 
द्वादशाक्षर मंत्र :: 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। 
इति श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्र। 
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