शनिदेव के वाहन और भाग्य
मनुष्य के भाग्य का शनिदेव से बहुत गहरा और सीधा सम्बन्ध है। शनिदेव के साथ-साथ उनकी सवारी भी महत्वपूर्ण मानी गई। शुभ और अशुभ के निर्धारण हेतु यह देखा जाता है कि किस प्रसंग में उनकी सवारी क्या है। शनिदेव प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं और हर किसी के साथ न्याय करते हैं। जो लोग अनुचित करते हैं शनिदेव उसे ही केवल प्रताड़ित करते हैं। शनिदेव की सवारी केवल कौवा या गिद्ध ही नहीं अपितु घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, मोर और हिरण भी हैं। शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिसके पास भी जाते हैं वह व्यक्तिउसी के अनुरूप फल पता है।
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM By :: Pt. Santosh Kumar Bhardwaj
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शनिदेव के वाहन का निर्धारण करने के लिए जातक के जन्म, नक्षत्र संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़ कर, योगफल को नौ से भाग करते हैं। शेष संख्या के आधार पर ही शनिदेव का वाहन का निर्धारण होता है। जैसे गधे के लिए शेष एक आ रहा है।
(1). गधा :– जब शनिदेव की सवारी गधा (होता है तो यह शुभ नहीं है। इससे जातक के शुभ कर्मों के फल में कमी आती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने में लिए काफी प्रयास ज़रूरी है। ऐसे जातक को अपने कर्तव्य का पालन म्हणत और ईमानदारी के साथ करना हितकर होता है।
(2). घोड़ा :– यदि शनिदेव की सवारी घोड़ा हो तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस समय जातक समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतिक माना जाता है, इसलिय व्यक्ति इस समय जोश और उर्जा से भरा होता है।
(3). हाथी :– यदि जातक के लिए शनि का वाहन हाथी हो तो इसे शुभ नहीं है। यह जातक को आशा के विपरीत-उल्टा फल देता है. इस स्थिति में जातक को साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए।
(4). भैसा :– यदि शनिदेव का वाहन भैसा हो तो जातक को मिला जुला फल प्राप्ति की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम करना ज्यादा बेहतर होता है। यदि जातक सावधानी से काम न ले तो कटु फलों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।
(5). सिंह :– यदि शनि की सवारी सिंह हो तो जातक को शुभ फल मिलता है। इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए इससे शत्रु पक्ष को परास्त करने में मदद मिलती है। इस अवधि में जातक को अपने विरोधियों से घबराने या ड़रने की कोई आवश्यकता नहीं है।
(6). सियार :– यदि शनि की सवारी सियार हो तो जातक को शुभ फल नहीं मिलते। इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना चाहिए।
(7). कौआ :– यदि शनि की सवारी कौआ हो तो जातक को इस अवधि में कलह में बढ़ोतरी होती है। परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर कलह या टकरावों की स्थिति से बचना चाहिए। इस समय जातक को शांति, संयम और मसले को बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।
(8). मोर :– शनि की सवारी मोर हो तो जातक को शुभ फल देता है। इस समय जातक को अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। इस दौरान जातक को समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। इसमें मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है.
(9). हंस :– यदि शनि की सवारी हंस हो तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है। इस सायम जातक अपनी बुद्धि औए मेहनत करके भाग्य का पूरा सहयोग ले सकता है। यह अवधि में जातक की आर्थिक में सुधार देखने को मिलता है। हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।
परेशानी की हालत में मनुष्य को "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" का नियमित जप 108 बार अवश्य करना चाहिए।
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