Saturday, September 12, 2015

चण्डी ध्वज स्तोत्र

चण्डी ध्वज स्तोत्र
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com
santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com
ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
विनियोग :: 
 अस्य श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्र मन्त्रस्य मार्कण्डेय ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रां बीजं, श्रीं शक्तिः, श्रूं कीलकं मम वाञ्छितार्थ फल सिद्धयर्थे विनियोगः। 
अंगन्यास :: श्रां, श्रीं, श्रूं, श्रैं, श्रौं, श्रः से हृदयादिन्यास व करन्यास करें।
Image result for images of maa cuttack chandi
मूल पाठ ::
ॐ श्रीं नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै भूत्त्यै नमो नमः। 
परमानन्दरुपिण्यै नित्यायै सततं नमः॥1॥ 
नमस्तेऽस्तु महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥2॥ 
रक्ष मां शरण्ये देवि धन-धान्य-प्रदायिनि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥3॥ 
नमस्तेऽस्तु महाकाली पर-ब्रह्म-स्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥4॥ 
नमस्तेऽस्तु महालक्ष्मी परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥5॥
नमस्तेऽस्तु महासरस्वती परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥6॥ 
नमस्तेऽस्तु ब्राह्मी परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥7॥ 
नमस्तेऽस्तु माहेश्वरी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥8॥ 
नमस्तेऽस्तु च कौमारी परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥9॥ 
नमस्ते वैष्णवी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥10॥ 
नमस्तेऽस्तु च वाराही परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥11॥ 
नारसिंही नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥12॥
 नमो नमस्ते इन्द्राणी परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥13॥
नमो नमस्ते चामुण्डे परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥14॥
नमो नमस्ते नन्दायै परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥15॥ 
रक्तदन्ते नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥16॥
नमस्तेऽस्तु महादुर्गे परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥17॥
शाकम्भरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥18॥
शिवदूति नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥19॥
नमस्ते भ्रामरी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥20॥ 
नमो नवग्रहरुपे परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥21॥
नवकूट महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥22॥
स्वर्णपूर्णे नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥23॥ 
श्रीसुन्दरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥24॥
नमो भगवती देवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥25॥
 दिव्ययोगिनी नमस्ते परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥26॥
नमस्तेऽस्तु महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥27॥
नमो नमस्ते सावित्री परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥28॥  
जयलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥29॥ 
मोक्षलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि। 
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥30॥
चण्डीध्वजमिदं स्तोत्रं सर्वकामफलप्रदम्।
राजते सर्वजन्तूनां वशीकरण साधनम्॥31॥ 
 
Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS RESERVED WITH THE AUTHOR.

No comments:

Post a Comment